हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा नवरात्र में कन्या-पूजन का विधान इसलिए बनाया गया, ताकि हम कन्याओं-महिलाओं के प्रति आदर का भाव रखें। उन्हें सम्मान और सुरक्षा देने से ही हमारा और हमारे समाज का जागरण हो सकेगा। नवरात्र को आद्याशक्ति की आराधना का सर्वश्रेष्ठ पर्वकाल माना गया है। 'शक्ति् 10775609
शक्ति की देवी मां दुर्गा का नौ दिनों तक चलने वाला पूजन शनिवार, पांच अक्टूबर से शुरू हो रहा है। नवरात्रि के इस पूजन के लिए कौन सा समय शुभ है, किस समय में घट स्थापना करना सही है और पूजा विधि क्या हो, आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं। 10773229
प्रीति झा]। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री हैं, नवमी के दिन सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। जगत के कल्याण हेतु नौ रूपों में प्रकट हुई और इन रूपों में अंतिम रूप है देवी सिद्धिदात्री। देवी सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत सौम्य है, देवी की चार भुजाएं हैं दायीं भुजा में माता ने चक्र औ 10773217
समस्त विश्व जगदंबा के तीन स्वरूपों की शक्ति से संचालित होता है। ये स्वरूप हैं-महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली। जब ये तीनों शक्तियां अपना विस्तार करती हैं तो 3X3=9 शक्तियों का साक्षात्कार होता है। आइए जानते हैं कि नवरात्र के नौ दिन देवी के किन रूपों को समर्पित हैं : 10773202
नवरात्र शुरू होने में दो दिन बाकी है और बाजार सज गए हैं। साथ ही बाजारों में ग्राहकों की आवाजाही एकाएक बढ़ गई है। जिस कारण पिछले कई दिनों से बाजारों में पसरा सन्नाटा छंट गया है। श्राद्ध पक्ष के कारण महानगर के बाजारों में ग्राहकों की चहल पहल काफी कम हो गई थी। खासकर किराना कारोबार की स्थि 10771006
प्रीति झा] नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान वाली है। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जानते हैं। इनकी पूजन विधि इस प्रकार है- सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर 10768714
कुछ दिन पहले रक्षाबंधन का त्योहार दो दिन मनाया है। कुछ इसी तरह से इस साल दशहरा के त्योहार पर भी असमंजस की स्थिति है। इस बार 13 और 14 अक्टूबर दो दिन दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार 14 अक्टूबर को सूर्योदय के साथ आने वाली दशमी तिथि में ही विजय दशमी का अपराजित पूजन किया जाना शुभ रहेगा। डॉ.
दुर्गा-पूजा के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना का विधान है। शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ आश्रि्वन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ होता है। कलश को हिन्दु विधानों में मंगलमूर्ति गणेश का स्वरूप माना जाता है अत: सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है। कलश स्थापना के लिए भूमि को सिक्त यानी शुद्ध किया जाता है। गोबर और गंगा- 10768694
गरबा का डांडिया को लेकर शहर में लोग आयोजनों की कमी महसूस होती थी लेकिन अब लोग गुजराती व राजस्थानी की इस खूबी को अब साइबर सिटी अपनाने लगी है। इसका उदाहरण देखने को मिल रहा कि पॉश कालोनियों में महिलाएं इस समय पूरी तरह गरबा व डांडिया सीखने में व्यस्त हैं और बाकायदा घंटों तक इसका अभ्यास कर रही हैं। 10768693
नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन अदाहत चक्र में अवस्थित होता है। अत: इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अत: ये ही सृष्टि की अ 10768695