Listly by POL KAJAADU
Answer:- अनुच्छेद 15 (3).
Answer:- अनुच्छेद 15 (3).
Answer:- अनुच्छेद 15(4).
Answer:- आपराधिक मामलों पर लागू होता है।
Answer:- दोहरा ख़तरा।
जब यह विद्रोह शुरू हुआ तब भारतीय सैनिक को की स्थिति बहुत मजबूत थी। इस आंदोलन में नेता, शासक तथा जनता सभी ने पूर्ण रूप से हिस्सा लिया और यह इतनी.....
गरीबी विश्व के हर देश की एक विशिष्ट समस्या रही है, तथा विश्व के लगभग सभी देशों में गरीबी देखी जा सकता है। गरीबी की परिभाषा विश्व के सभी देशोंसमान नहीं
यूरोपीय संघ की स्थापना से पहले यह एक यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन था। जिसकी स्थापना मार्शल योजना के तहत 1948 ने हुई थी। यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन का उद्देश्य पश्चिमी देशों में व्यापार और आर्थिक मामलों पर ध्यान देना था। लेकिन समय के साथ साथ कुछ परिवर्तन देखे जाने लगे।
1975 के राष्ट्रीय आपातकाल लगाने का पूरा-पूरा श्रय हम तत्कालीन कांग्रेस पार्टी को दिया जा सकता है। 25 जून 1975 कांग्रेस की नीतियों के कारण 1975 देश में कांग्रेस विरोधी माहौलतैयार हो चुका था। उस समय की परिस्थिति को मध्य नजर रखते हुए। 25 जून 1975 को अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा कर दी गई। जिसके निम्नलिखित कारण है।
नीति आयोग वर्तमान सरकार नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी द्वारा 13 अगस्त 2014 को इसकी पहल की गई जो भारत की 65 वर्ष पुरानी योजना आयोग (Planning Commission)
राजनीतिक सिद्धांत का संबंध तीन प्रकार है:(1) अनुभवजन्य कथन, जो केवल इंद्रिय-अनुभव के माध्यम से अवलोकन पर आधारित है।
यथार्थवाद जिसे एनलिश में " रीलिज़म" कहते है।रीलिज़म = रियल + इस्मरियल शब्द की उत्पति ग्रीक भाषा के "रेस" शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है वास्तविकता अंत: रीलिज़म का
जैसा की आप सभी जानते है कि भारत का एक संविधान है और दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है | हर कोई व्यक्ति भारत का संविधान नहीं पढ़ नहीं सकता है तो ऐसे मे अगर किसी भी व्यक्ति को भारत का संविधान जानना हो तो वो व्यक्ति पूरा भारत का संविधान न पढ़कर भारत के संविधान कि प्रस्तावना/उद्देशिका (PREAMBLE) पढ़ सकता है |
भारत का जब संविधान बनाया जा रहा था तो जो भारत का सविधान बना रहे लोग उन सभी के मन मे एक बात बार-बार याद दिलाई जाती थी कि हम तो भी संविधान बनाएगे वो भारत के लोगों कि भलाई के लिए होना चाहिए |
अगर आप भारत देश मे रहते तो या कभी आप भारत की अदालत/कोर्ट(court ) मे कभी गए हो तो अपने एक बात बार बार सुनी जरूर सुनी होगी धारा/दफा (Section) इसका क्या मतबल होता है ? तो आज हम धारा/दफा (Section) के बारे मे जानने कि कोशिश करेंगे !
संयुक्त राष्ट्र संगठन (United Nations Organization) (UNO) एक ऐसी संस्था है जो लगभग पूरे देश को एक ही मंच पर ला कर खड़ा किया है | संयुक्त राष्ट्र संगठन (United Nations Organization) (UNO) का मतलब ही यही है की दुनिया भर के राष्ट्रों/देशों (Nations) को एक ऐसा मंच मिल जाए कि सभी देश अपनी - अपनी बात बता सके या दूसरों को बात सुन सके|
अगर हम बात करे 1900 से लेकर 2000 तक की तो विश्व राजनीति मे बहुत महत्वपूर्ण रहा है क्यूंकि 19वी सदी मे "दो विश्व युद्ध " एक शीत युद्ध (Cold war), बहुत से छोटे - मोटे युद्ध और रूसी क्रान्ति आदि |
जैसा की आप को पता होगा कि 1945 से 1991 के दोर को हम सभी शीत युद्ध के नाम से जानते है अगर आपको शीत युद्ध के बारे मे और जानकारी चाहिए तो इस ब्लू लाइन पर क्लिक(click) करे|
सामाजिक न्याय से अभिप्राय एक ऐसे न्याय से है जो की व्यक्तिगत या सामूहिक ना होकर पूरे समाज को देखकर न्याय की बात करते है| पहले हम यह जानने की कोशिश करते है की समाज क्या होता है! जिस जगह हम रहते और हम अपने आस-पास जिन लोगों को देखते है| हम सभी एक समाज का हिस्सा है|
ब्रिटिश सरकार ने भारत देश के ऊपर काफी लंबे समय तक शासन किया| भारत के प्रभावी नेता, व्यक्तियों , क्रांतिकारियों आदि | हम ब्रिटिश सरकार के चंगुल से निकाल पाए| ब्रिटिश संसद में पारित स्वतंत्रता अधिनियम के अंतर्गत 14-15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई| स्वतंत्रता के साथ साथ भारत का विभाजन भी हो गया था| जिसके कारण भारत देश के समक्ष काफी समस्याएँ खड़ी हो गई थी| इन सभी समस्याओं का सामना करना बहुत जरूरी था|
एकात्मक और संघीय प्रणाली दोनों ही प्रणाली एक दूसरे से बिल्कुल अलग है| संघवाद में हमें यह दोनों प्रणाली देखने को ज्यादा मिलती है| संघवाद का मतलब होता है कि शक्तियों को कैसे बाँटा हुआ है| देश को चलने की शक्ति ज्यादा किसके पास है| केंद्र के पास या राज्य के पास हम इसी बात को जानने का प्रयास करते है| आज हम संघवाद व्यवस्था में एकात्मक प्रणाली को जानने का प्रयास करेंगे|
एकात्मक और संघीय प्रणाली दोनों ही प्रणाली एक दूसरे से बिल्कुल अलग है| संघवाद में हमें यह दोनों प्रणाली देखने को ज्यादा मिलती है| संघवाद का मतलब होता है कि शक्तियों को कैसे बाँटा हुआ है| देश को चलने की शक्ति ज्यादा किसके पास है| केंद्र के पास या राज्य के पास हम इसी बात को जानने का प्रयास करते है| इन एकात्मक और संघीय प्रणाली दोनों संघवाद व्यवस्था के कितना फर्क है|
हरित क्रान्ति कृषि से संबंधित है | हरित क्रान्ति का मुख्य उदेश्य गेहू की पैदावार में वृद्धि से है| हरित क्रान्ति का काल 1960 से दशक को कहा जाता है | पूरे विश्व में हरित क्रान्ति का श्रय मैक्सिको के नोबल पुरस्कार विजेता एक वैज्ञानिक प्रोफेसर नारमन बोरलॉग को जाता है | भारत में हरित क्रान्ति का श्रय एम. एस. स्वामीनाथन को जाता है | डा० प्रोफेसर नारमन बोरलॉग पुरस्कार पहली बार एम. एस. स्वामीनाथन को दिया गया था|
संयुक्त राष्ट्र संगठन (United Nations Organization) (UNO) एक ऐसी संस्था है जो लगभग पूरे देश को एक ही मंच पर ला कर खड़ा किया है | संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) का मतलब ही यही है की दुनिया भर के राष्ट्रों/देशों (Nations) को एक ऐसा मंच मिल जाए कि सभी देश अपनी - अपनी बात बता सके या दूसरों को बात समझ सके|
20वी शताब्दी के अंतिम दशक के दौरान कई भारी मुद्दे सामने आए जिनमें वैश्वीकरण प्रमुख रूप से सामने आया है। वैश्वीकरण शब्द का प्रयोग बड़े पैमाने पर अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में होता था।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जब रूस में क्रांति हई थी। 1917 से रूस का नाम सोवियत संघ पड़ गया। 1917 से 1991 तक हम रूस को सोवियत संघ के नाम से जानते है। तो हम आज यह जानने का प्रयास करेंगे कि सोवियत संघ का विघटन क्यों हुआ।
सोवियत संघ देश में एक ही पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी थी जिसके द्वारा सोवियत संघ में एक ही दल कम्युनिस्ट पार्टी का पूर्ण अंकुश था। सोवियत संघ की जनता की इच्छा को पूरा करने में असमर्थ थी कम्युनिस्ट पार्टी और साथ ही गणराज्यों के समूह में रूस के प्रभुत्व को देखकर भी जनता शोषित महसूस करती थी।
भारतीय संविधान की बहुत सारी विशेषता है परंतु आज हमने केवल 10 विशेषताओ की बात की है। भारतीय संविधान और भी देशों के लिए काफी कारगर है। एकल नागरिकता भी भारतीय संविधान की ओर विशेषता है। न्यायपालिका की सर्वोच्चता भारतीय संविधान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। मौलिक अधिकार से जनता अपना विकास स्वयं कर सकता है।
दल - बदल का अर्थ है कि उम्मीदवार ने जिस दल के टिकट पर चुनाव लड़ा हो उस दल का त्याग करके किसी अन्य दल में शामिल होना या निर्दलीय सदस्य के रूप में बने रहना। इसमें सरकारी पक्ष को छोड़कर विरोधी खेमे में मिलना और विरोधी खेमे के व्यक्ति का सरकारी पक्ष में आ जाना भी शामिल है। चोथे आम चुनाव 1967 से दल-बदल की राजनीति शुरू हुई।