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Updated by Inspirational Story Hindi on Oct 09, 2020
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Spiritual Audible Short Hindi Story For Whatsapp

Source: https://www.inspirational-stories.in/2020/04/keep-balance-inspiring-stories.html

Motivational Stories - ऋषि और एक चूहा (Sage and A Mouse Hindi Story) | Hindi Spiritual Story

Inspirational Stories - ऋषि और एक चूहा (Sage and A Mouse Hindi Story) | Hindi Spiritual Story By BK Shradha
A sage lived in a forest. A rat had been living at his tent for a long time. This rat was very much in love with the sage. When he was engrossed in penance, he used to listen to Bhajan sitting near him with great pleasure. Even he himself started worshiping God. But the dog - the cat and the eagle - the crows, etc., he was always scared and scared. Once, the sage felt very much compassion for that rat. They started thinking that this poor mouse is scared all the time, why not make it a lion. So that the fear of this poor person ends and it can roam everywhere without fear. The sages were the masters of great divine power. On the strength of his power, he turned that rat into a lion and started thinking that now this rat will not be afraid of any animal and will fearlessly roam the entire forest. But as soon as the lion became a lion, all the thinking of the rat changed. He roams fearlessly in the whole forest. Now all the animals started getting scared and bowed. He started cheering. But the sage knew that this is just a mouse. Not really a lion. Therefore, the sage treated him as a mouse. The rat did not like that anyone should treat him as a mouse. He started thinking that in this way, other animals will also be affected. People will start hating and disrespecting him more than he believes. So the rat thought why do not I may kill the sage. No more bamboo, no flute will be played. Thinking this, he went to kill the sage. As soon as the sage saw a lion full of anger coming towards him, he understood his mind. He got very angry on the lion. Therefore, to break his pride, the sage made him a mouse once again with his divine power.

Education / Moral: - Friends! We should never harm our benevolent, no matter how powerful we may be. We should always remember those people who have supported us in our bad times. Also we should not forget their past. If the mouse remembered its reality, it would not have to become a mouse again. The past takes us out of pride.

Inspirational Stories - सत्संग (Satsang) - Audible Spiritual Hindi Story For Whatsapp

Inspirational Stories - सत्संग (Spiritual Discourse) Motivational Story in Hindi By BK Shradha Agrawal

When a man once heard in satsang that he who has to perform the same deeds will have to bear the same fruits according to his deeds, he was very surprised to hear that he asked the saintly saints to solve their fears if the fruits of the deeds If you have to suffer then you have the benefit of coming in satsang… ..?

Sant Ji smiled and looked at him and pointed to a brick and said that you take this brick on the roof and throw it on my head, the man said that after hearing this, Sant ji will hurt you, I will not hurt you. The saint said, well, then he tied a bundle of cotton equal to the weight of the same brick and said, now, carrying it and throwing it on my head, will I also get hurt?

He did not say, the saint said, Son, by coming to the satsang like this, the person starts to feel the burden of his deeds light and he takes the pain of every sorrow, considering the mercy of God, with great love, the mind of the human being in the satsang is clean. Happens and he is also spared from the sins caused by the attachment of the illusion of Maya and reaches his own home Satlok one day while staying in the pleasure of his Satguru.

Inspiring stories | Motivational stories | easy guidelines | Spirit of prayer(प्रार्थना का भाव)

Inspiring stories | Motivational stories | easy guidelines | Spirit of prayer(प्रार्थना का भाव) by bk shradha agrawal

एक संत जंगल से गुजरते हैं और एक आदमी को प्रार्थना करते देखते हैं,गड़रिया, गरीब आदमी,फटे चीथड़े पहने हुए,भगवान से प्रार्थना कर रहा है,महीनों से नहाया नहीं होगा,ऐसी दुर्गन्ध आ रही है !

ऐसा आदमी नहीं देखा,वो भगवान से कह रहा है-हे भगवान !तू एक दफ़े मुझे बुला ले,ऐसी तेरी सेवा करूँगा कि तू भी खुश हो जाएगा,पाँव दबाने में मेरा कोई सानी नहीं,पैर तो मैं ऐसे दबाता हूँ,तेरा भी दिल बाग-बाग हो जाए और तुझे घिस-घिस के नहलाऊँगा और तेरे सिर में जुएँ पड़ गए होंगे तो उनको भी सफाई कर दूँगा

संत तो बर्दाश्त के बाहर हो गया कि,“ये आदमी क्या कह रहा है ! मैं रोटी भी अच्छी बनाता हूँ,शाक-सब्जी भी अच्छी बनाता हूँ,रोज भोजन भी बना दूँगा. थका-माँदा आएगा,पैर भी दाब दूँगा,नहला भी दूँगा. तू एक दफ़े मुझे मौका तो दे !

संत ने कहा“अब चुप !चुप अज्ञानी!तू क्या बातें कर रहा है ?तू किससे बातें कर रहा है भगवान से ?”और उस आदमी की आँख से आँसू बह गए,वो आदमी तो डर गया,उससे कहा-- “मुझे क्षमा करें,कोई गलत बात कही ?”

संत ने कहा-गलत बात ! और क्या गलती हो सकती है भगवान को जुएँ पड़ गए !पिस्सू हो गए !उसका कोई पैर दबाने वाला नहीं ! उसका कोई भोजन बनाने वाला नहीं !तू भोजन बनाएगा ?और तू उसे घिस-घिस के धोएगा ?तूने बात क्या समझी है?भगवान कोई गड़रिया है ?

वो गड़रिया रोने लगा,उसने संत के पैर पकड़ लिए,उसने कहा--मुझे क्षमा करो !मुझे क्या पता,मैं तो बेपढ़ा-लिखा गँवार हूँ,शास्त्र का कोई ज्ञान नहीं, अक्षर सीखा नहीं कभी, यहीं पहाड़ पर इसी जंगल में भेड़ों के साथ ही रहा हूँ, भेड़िया हूँ,मुझे क्षमा कर दो !अब कभी ऐसी भूल न करूँगा,मगर मुझे ठीक-ठीक प्रार्थना समझा दो !

संत ने उसे ठीक-ठीक प्रार्थना समझाई,वो आदमी कहने लगा-ये तो बहुत कठिन है,ये तो मैं भूल ही जाऊँगा,ये तो मैं याद ही न रख सकूँगा,फिर से दोहरा दो !

फिर से संत ने दोहरा दी,वो बड़े प्रसन्न हो रहे थे मन में कि एक आदमी को राह पर ले आए भटके हुए को ! और जब संत जंगल की तरफ़ अपने रास्ते पे जाने लगे,बड़े प्रसन्न भाव से,तो उन्होंने बड़े जोर की आवाज में गर्जना सुनी आकाश में और भगवान की आवाज आई--महात्मन!मैंने तुझे दुनिया में भेजा था कि तू मुझे लोगों से जोड़ना,तूने तो तोड़ना शुरू कर दिया ! अभी गड़रिए की घबड़ाने की बात थी,अब संत घबड़ा के बैठ गए,हाथ-पैर कांपने लगे,उन्होंने कहा -- क्या कह रहे हैं आप,मैंने तोड़ दिया!मैंने उसे ठीक-ठीक प्रार्थना समझाई !

परमात्मा ने कहा--ठीक-ठीक प्रार्थना का क्या अर्थ होता है?ठीक शब्द?ठीक उच्चारण?ठीक भाषा?ठीक प्रार्थना का अर्थ होता है,हार्दिक भाव ! वो आदमी अब कभी ठीक प्रार्थना न कर पाएगा,तूने उसके लिए सदा के लिएतोड़ दिया,उसकी प्रार्थना से मैं बड़ा खुश था !

वो आदमी बड़ा सच्चा था,वो आदमी बड़े हृदय से ये बातें कहता था,रोज कहता था,मैं उसकी प्रतीक्षा करता था रोज कि कब गड़रिया प्रार्थना करेगा !

इससे फर्क नहीं पड़ता कि हमारे शब्द क्या हैं !इससे ही फर्क पड़ता है कि हम क्या है. हमारे आँसू सम्मिलित होने चाहिए हमारे शब्दों में ! जब हमारे शब्द हमारे आँसूओं से गीले होते हैं,तब उनमें हजार-हजार फूल खिल जाते है

Motivational Stories - (मैल और धूल) | Inspirational Articles | Life Changing Facts | Positive Stories

Motivational Stories - (मैल और धूल) | Inspirational Articles | Life Changing Facts | Positive Stories By BK Shradha Agrawal

एक सेठ नदी पर आत्महत्या करने जा रहा था। संयोग से एक लंगोटीधारी संत भी वहाँ थे।

संत ने उसे रोक कर, कारण पूछा, तो सेठ ने बताया कि उसे व्यापार में बड़ी हानि हो गई है।

संत ने मुस्कुराते हुए कहा- बस इतनी सी बात है? चलो मेरे साथ, मैं अपने तपोबल से लक्ष्मी जी को तुम्हारे सामने बुला दूंगा। फिर उनसे जो चाहे माँग लेना।

सेठ उनके साथ चल पड़ा। कुटिया में पहुँच कर, संत ने लक्ष्मी जी को साक्षात प्रकट कर दिया।

वे इतनी सुंदर, इतनी सुंदर थीं कि सेठ अवाक रह गया और धन माँगना भूल गया। देखते देखते सेठ की दृष्टि उनके चरणों पर पड़ी। उनके चरण मैल से सने थे।

सेठ ने हैरानी से पूछा- माँ! आपके चरणों में यह मैल कैसी?

माँ- पुत्र! जो लोग भगवान को नहीं चाहते, मुझे ही चाहते हैं, वे पापी मेरे चरणों में अपना पाप से भरा माथा रगड़ते हैं। उनके माथे की मैल मेरे चरणों पर चढ़ जाती है।
ऐसा कहकर लक्ष्मी जी अंतर्ध्यान हो गईं। अब सेठ धन न माँगने की अपनी भूल पर पछताया, और संत चरणों में गिर कर, एकबार फिर उन्हें बुलाने का आग्रह करने लगा।

संत ने लक्ष्मी जी को पुनः बुला दिया। इस बार लक्ष्मी जी के चरण तो चमक रहे थे, पर माथे पर धूल लगी थी।

पुनः अवाक होकर सेठ धन माँगना भूल कर पूछने लगा- माँ! आपके माथे पर मैल कैसे लग गई?

लक्ष्मी ने कहा- पुत्र! यह मैल नहीं है, यह तो प्रसाद है। जो लोग भगवान को ही चाहते हैं, उनसे मुझे नहीं चाहते, उन भक्तों के चरणों में मैं अपना माथा रगड़ती हूँ। उनके चरणों की धूल से मेरा माथा पवित्र हो जाता है।

लक्ष्मी जी ऐसा कहकर पुनः अंतर्ध्यान हो गईं। सेठ रोते हुए, संत चरणों में गिर गया।
संत ने मुस्कुराते हुए कहा- रोओ मत। मैं उन्हें फिर से बुला देता हूँ।

सेठ ने रोते रोते कहा- नहीं स्वामी जी, वह बात नहीं है। आपने मुझ पर बड़ी कृपा की। मुझे जीवन का सबसे बड़ा पाठ मिल गया। अब मैं धन नहीं चाहता। अब तो मैं अपने बचे हुए जीवन में भगवान का ही भजन करूंगा।

🇲🇰Inspiring Stories - Motivational Stories - Easy Guidelines - Facts of Life- Prabhu Prem(प्रभु प्रेम)🇲🇰

Inspiring stories - Motivational stories - easy guidelines - facts of life- Prabhu Prem(प्रभु प्रेम)

कमल किशोर सोने और हीरे के जवाहरात बनाने और बेचने का काम करता था। उसकी दुकान से बने हुए गहने दूर-दूर तक मशहूर थे। लोग दूसरे शहर से भी कमल किशोर की दुकान से गहने लेने और बनवाने आते थे। चाहे हाथों के कंगन हो, चाहे गले का हार हो, चाहे कानों के कुंडल हो उसमें हीरे और सोने की बहुत सुंदर मीनाकारी होती कि सब देखने वाले देखते ही रह जाते।

इतना बड़ा कारोबार होने के बावजूद भी कमल किशोर बहुत ही शांत और सरल स्वभाव वाला व्यक्ति था। उसको इस माया का इतना रंग नहीं चढ़ा हुआ था।एक दिन उसका कोई मित्र उसकी दुकान पर आया जो कि अपने पत्नी सहित वृंदावन धाम से होकर वापस आ रहा था तो उस मित्र ने सोचा कि चलो थोड़ा सा प्रसाद अपने मित्र कमल किशोर को भी देता चलूं।

उसकी दुकान पर जब वह पहुंचा तब कमल किशोर का एक कारीगर एक सोने और हीरे जड़ित बहुत सुंदर हार बना कर कमल किशोर को देने के लिए आया था। कमल किशोर उस हार को देख ही रहा था कि उसका मित्र उसकी दुकान पर पहुंचा। कमल किशोर का मित्र अपने साथ वृंदावन से एक बहुत सुंदर लड्डू गोपाल जिसका सवरूप अत्यंत मनमोहक था साथ लेकर आया था।

जब उसका मित्र दुकान पर बैठा तो उसकी गोद में लड्डू गोपाल जी विराजमान थे। कमल किशोर लड्डू गोपाल जी के मनमोहक रुप सोंदर्य को देखकर अत्यंत आंनदित हुआ। उसने अपने हाथ में पकड़ा हुआ हार उस लड्डू गोपाल के गले में पहना दिया और अपने मित्र को कहने लगा कि देखो तो सही इस हार की शोभा लड्डू गोपाल के गले में पढ़ने से कितनी बढ़ गई है।

उसका मित्र और कमल किशोर आपस में बातें करने लगे बातों बातों में ही उसका मित्र लड्डू गोपाल को हार सहित लेकर चला गया। दोनों को ही पता ना चला कि हार लड्डू गोपाल के गले में ही पड़ा रह गया है। कमल किशोर का मित्र अपनी पत्नी सहित एक टैक्सी में सवार होकर अपने घर को रवाना हो गया। जब वह टैक्सी से उतरे तो भूलवश लड्डू गोपाल जी उसी टैक्सी में रह गए। टैक्सी वाला एक गरीब आदमी था जिसका नाम बाबू था जो कि दूसरे शहर से यहां अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए टैक्सी चलाता था और वह टैक्सी लेकर काफी आगे निकल चुका था। आज उसको अपने घर वापस जाना था जो कि दूसरे शहर में था। जब टैक्सी लेकर बाबू अपने घर पहुंचा तो उसने जब अपनी टैक्सी की पिछली सीट पर देखा तो उसका ध्यान लड्डू गोपाल जी पर पड़ा जो के बड़े शाही तरीके से पिछली सीट पर गले में हार धारण करके सुंदर सी पोशाक पहनकर हाथ में बांसुरी पकड़े हुए पसर कर बैठे हुए हैं। बाबू यह देखकर एकदम से घबरा गया कि यह लड्डू गोपाल जी किसके हैं लेकिन अब वह दूसरे शहर से अपने शहर जा चुका था जो कि काफी दूर था और वह सवारी का घर भी नहीं जानता था तो वह दुविधा में पड़ गया कि वह क्या करें लेकिन फिर उसने बड़ी श्रद्धा से हाथ धो कर लड्डू गोपाल जी को उठाया और अपने घर के अंदर ले गया जैसे ही उसने घर के अंदर प्रवेश किया उसकी पत्नी ने उसके हाथ में पकड़े लड्डू गोपाल जी को जब देखा को इतनी सुंदर स्वरूप वाले लड्डू गोपाल जी को देखकर उसकी पत्नी ने झट से लड्डू गोपाल जी को अपने पति के हाथों से ले लिया उसकी पत्नी जिसकी 8 साल शादी को हो चुके थे उसके अभी तक कोई संतान नहीं थी। लेकिन गोपाल जी को हाथ में लेते ही उसका वात्सालय भाव जाग उठा उसकी ममतामई और करुणामई आंखें झर झर बहने लगी। ममता वश और वात्सल्य भाव के कारण ठाकुर जी को गोद में उठाते ही उसको ऐसे लगा उसने किसी अपने ही बच्चे को गोद में उठाया है उसके स्तनों से अपने आप दूध निकलने लगा। अपनी ऐसी दशा देखकर बाबू की पत्नी मालती बहुत हैरान हुए उसने कसकर गोपाल जी को अपने सीने से लगा लिया और आंखों में आंसू बहाती बोलने लगी अरे बाबू तुम नहीं जानते कि आज तुम मेरे लिए कितना अमूल्य रत्न लेकर आए हो। बाबू कुछ समझ नहीं पा रहा था कि मेरी पत्नी को अचानक से क्या हो गया है लेकिन उसकी पत्नी तो जैसे बांवरी सी हो गई थी वह गोपाल जी को जल्दी-जल्दी अंदर ले गई और उससे बातें करने लगी अरे लाला इतनी दूर से आए हो तुम्हें भूख लगी होगी और उसने जल्दी जल्दी मधु और घी से बनी चूरी बनाकर और दूध गर्म करके ठाकुर जी को भोग लगाया और उधर कमल किशोर ने जब अपनी दुकान पर हार को ना देखा तो उसको याद आया कि हार तो ठाकुर जी के गले में ही रह गया है तो उसने अपने मित्र को संदेशा भेजा तो मित्र ने आगे से जवाब दिया अरे मित्र वह माखन चोर और चित् चोर हार सहित खुद ही चोरी हो गया है। मैं तो खुद इतना परेशान हूं। कमल किशोर अब थोड़ा सा परेशान हो गया कि ईतना कीमती हार ना जाने कहां चला गया। मुझे तो लाखों का नुकसान हो गया लेकिन फिर भी अपने सरल स्वभाव के कारण उसने अपने मित्र को कुछ नहीं कहा और उसने अपने मन में सोचा कि कोई बात नहीं मेरा हार तो ठाकुर जी के ही अंग लगा है अगर मेरी भावना सच्ची है तो ठाकुर जी उसको पहने रखें और उधर बाबू और उसकी पत्नी मालती दिन-रात ठाकुर जी की सेवा करते अब तो मालती और बाबू को लड्डू गोपाल जी अपने बेटे जैसे ही लगने लगे। लड्डूगोपाल जी की कृपा से अब मालती के घर एक बहुत ही सुंदर बेटी ने जन्म लिया। इन सब बातों का श्रेय वह लड्डू गोपाल जी को देते कि यह हमारा बेटा है और अब हमारी बेटी हुई है अब हमारा परिवार पूरा हो गया। मालती लड्डू गोपाल जी को इतना स्नेह करती थी कि रात को उठ उठ कर देखने जाती थी कि लड्डू गोपाल जी को कोई कष्ट तो नहीं है। ऐसे ही एक दिन कमल किशोर व्यापार के सिलसिले में दूसरे शहर आना पड़ा जहां पर बाबू रहता था लेकिन दुर्भाग्यवश जब वो उस शहर में पहुंचा तो अचानक से इतनी बारिश शुरू हो गई कि कमल किशोर को जहां पहुंचना था वहां पहुंच ना सका। और तब वहां बाबू अपनी टैक्सी लेकर आ गया और उसने परेशान कमल किशोर को पूछा बाबूजी आप यहां क्यों खड़े हो बारिश तो रुकने वाली नहीं और सारे शहर में पानी भरा हुआ है आप अपनी मंजिल तक ना पहुंच पाओगे और ना ही कहीं और रुक पाओगे मेरा घर पास ही है अगर आप चाहो तो मेरे घर आ सकते हो कमल किशोर जिसके पास सोने और हीरे के काफी गहने थे वह अनजान टैक्सी वाले के साथ जाने के लिए थोड़ा सा घबरा रहा था। लेकिन उसके पास और कोई चारा भी नहीं था और वह बाबू के घर उसके साथ टैक्सी में बैठ कर चला गया। घर पहुंचते ही बाबू ने मालती को आवाज दी कि आज हमारे घर मेहमान आए हैं उनके लिए खाना बनाओ। कमल किशोर ने देखा कि बाबू का घर एक बहुत छोटा सा लेकिन व्यवस्थित ढंग से सजा हुआ है। घर में अजीब तरह के इत्र की खुशबू आ रही है जो कि उसके हृदय को आनंदित कर रही थी। जब मालती ने उनको भोजन परोसा तो कमल किशोर को उसमें अमृत जैसा स्वाद आया उसका ध्यान बार-बार उस दिशा की तरफ जा रहा था जहां पर ठाकुर जी विराजमान थे वहां से उसको एक अजीब तरह का प्रकाश नजर आ रहा था तो हार कर कमल किशोर ने बाबू को पूछा कि अगर आपको कोई एतराज ना हो तो क्या आप बता सकते हो कि उस दिशा में क्या रखा है? मेरा ध्यान उसकी तरफ आकर्षित हो रहा है तो बाबू और मालती ने एक दूसरे की तरफ मुस्कुराते हुए कहा कि वहां पर तो हमारे घर के सबसे अहम सदस्य लड्डू गोपाल जी विराजमान है। तो कमल किशोर ने कहा क्या मैं उनके दर्शन कर सकता हूं तो मालती उनको उस कोने में ले गई जहां पर लड्डू गोपाल जी विराजमान थे। कमल किशोर लड्डू गोपाल जी को और उनके गले में पड़े हार को देखकर एकदम से हैरान हो गया यह तो वही लड्डू गोपाल है और यह वही हार है जो मैंने अपने मित्र के लड्डू गोपाल जी को डाला था। कमल किशोर ने बड़ी विनम्रता से पूछा कि यह गोपाल जी तुम कहां से लाए? बाबू जिसके मन में कोई छल कपट नहीं था उसने कमल किशोर को सारी बात बता दी कि कैसे उसको सोभाग्य से गोपाल जी मिले और उनके हमारे घर आने से हमारा दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल गया। तो कमल किशोर ने कहा क्या तुम जानते हो कि जो हार ठाकुर जी के गले में पड़ा है उसकी कीमत क्या है? तो बाबू और मालती ने बड़ी विनम्रता से हाथ जोड़कर कहा कि जो चीज हमारे लड्डू गोपाल जी के अंग लग गई हम उसका मूल्य नहीं जानना चाहते और हमारे लाला के सामने किसी चीज किसी हार का कोई मोल नहीं है तो कमल किशोर एकदम से चुप हो गया और उसने मन में सोचा कि चलो अच्छा है मेरा हार ठाकुर जी ने अपने अंग लगाया हुआ है अगले दिन जब वह चलने को तैयार हुआ और बाबू उनको टैक्सी में लेकर उनके मंजिल तक पहुंचाने गया। जब कमल किशोर टैक्सी से उतरा और जाने लगा तभी बाबू ने उनको आवाज लगाई कि ज़रा रुको यह आपका कोई सामान हमारी टैक्सी में रह गया है लेकिन कमल किशोर ने कहा मैंने तो वहां कुछ नहीं रखा, लेकिन बाबू ने कहा कि यह बैग तो आपका ही है जब कमल किशोर ने उसको खोलकर देखा तो उसमें बहुत सारे पैसे थे। कमल किशोर एकदम से हक्का-बक्का रह गया कि यह तो इतने पैसे हैं जितनी कि उस हार की कीमत है। उसकी आंखों में आंसू आ गए कि जब तक मैंने निश्छल भाव से ठाकुर जी को वह हार धारण करवाया हुआ था तब तक उन्होंने पहने रखा। मैंने उनको पैसों का सुनाया तो उन्होंने मेरा अभिमान तोड़ने के लिए पैसे मुझे दे दिए हैं। वह ठाकुर जी से क्षमा मांगने लगा लेकिन अब हो भी क्या सकता था?

इसलिए हमारे अंदर ऐसे भाव होने चाहिए कि:उसमें अहंकार न होकर विनम्रता होनी चाहिए और भगवान जैसा चाहते हैं वैसा ही होता है हम तो निमित्त मात्र हैं। कौन ठाकुर जी को वृंदावन से लाया और किसके घर आकर वह विराजमान हुए यह सब ठाकुर जी की लीला है जिसके घर रहना है जिसके घर सेवा लेनी है यह सभी जानते हैं हम लोग तो निमित्त मात्र हैं बस हमारे भाव शुद्ध होने चाहिए ।भगवान तो बड़े बड़े पकवान नहीं बल्कि भाव से खिलाई छोटी से छोटी चीज को भी ग्रहण कर लेते हैं।

भजन और भोजन (Bhajans and Food) - Inspirational Stories, Hindi Kahaniya, Good Stories By Shradha 2020

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एक सेठ के घर के बाहर भिखारी खड़ा होकर भजन गा रहा था और बदले में खाने को रोटी मांग रहा था। सेठानी काफी देर से उसको कह रही थी, आ रही हूँ। रोटी हाथ में थी पर फिर भी कह रही थी कि रुको, आ रही हूँ। भिखारी भजन गाए जा रहा था और रोटी मांग रहा था।

●सेठ ये सब देख रहा था, पर समझ नहीं पा रहा था। आखिर सेठानी से बोला, "रोटी हाथ में लेकर खड़ी हो, वो बाहर मांग रहा है, उसे कह रही हो आ रही हूँ, तो उसे रोटी क्यों नहीं दे रही हो.?"

A beggar was standing outside a Seth's house singing bhajans and asking for bread in return. Sethani had been telling her for a long time, I am coming. The roti was at hand but still saying that wait, I am coming. The beggar was singing hymns and asking for bread.

● Seth was watching all this, but could not understand. Finally, he said to Sethani, "Stand with bread in hand, he is asking outside, I am telling him, so why are you not giving him bread?"

Sethani said, "Yes, I will give roti, but what is it, that I love his bhajan very much, if I give him roti, he will go ahead. I have to listen to his bhajan more."

● If God is not listening to you even after prayer, then understand that like that sethani, God is loving your prayer, so wait and keep praying.

🇲🇰Inspiring Stories - Motivational Stories - Easy Guidelines - Facts of Life - Faith (विश्वास)🇲🇰

Inspiring stories - Motivational stories - Easy Guidelines - Facts of Life - Faith (विश्वास) By BK Shradha Agarwal

एक राजा की पुत्री के मन में वैराग्य की भावनाएं थीं। जब राजकुमारी विवाह योग्य हुई, तो राजा को उसके विवाह के लिए योग्य वर नहीं मिल पा रहा था।

राजा ने पुत्री की भावनाओं को समझते हुए बहुत सोच-विचार करके उसका विवाह एक गरीब संन्यासी से करवा दिया।
राजा ने सोचा कि एक संन्यासी ही राजकुमारी की भावनाओं की कद्र कर सकता है।
विवाह के बाद राजकुमारी खुशी-खुशी संन्यासी की कुटिया में रहने आ गई।

पहले ही दिन कुटिया की सफाई करते समय राजकुमारी को एक बर्तन में दो सूखी रोटियां दिखाई दीं। उसने अपने संन्यासी पति से पूछा कि रोटियां यहां क्यों रखी हैं ?

संन्यासी ने जवाब दिया कि- ये रोटियां कल के लिए रखी हैं, अगर कल खाना नहीं मिला तो हम एक-एक रोटी खा लेंगे।
संन्यासी का ये जवाब सुनकर राजकुमारी हंस पड़ी, राजकुमारी ने कहा- कि मेरे पिता ने मेरा विवाह आपके साथ इसलिए किया था, क्योंकि उन्हें ये लगा कि आप भी मेरी ही तरह वैरागी हैं, आप केवल भक्ति करते हैं... भजन, कीर्तन करते हैं और कल की चिंता करते ही नहीं हैं।

पर स्वामी! मैं जितना जानती हुं की- सच्चा भक्त वही है जो कल की चिंता कदापि नहीं करता और भगवान पर पूरा भरोसा करता है। सर्वसमर्पण करता है।

अगले दिन की चिंता तो पशु भी नहीं करते हैं, हम तो मनुष्य हैं। अगर भगवान चाहेगा तो हमें खाना मिल जाएगा और नहीं मिलेगा तो रातभर आनंद से प्रार्थना करेंगे।

ये बातें सुनकर संन्यासी की आंखें खुल गई। उसे समझ आ गया कि उसकी पत्नी ही असली संन्यासी है। वो नतमस्तक हो गया।

उसने राजकुमारी से कहा कि- आप तो राजा की बेटी हैं, राजमहल छोड़कर मेरी छोटी सी कुटिया में आई हैं। जबकि मैं तो पहले से ही एक सन्यासी हूं, फिर भी मुझे कल की चिंता सता रही थी। केवल कहने से ही कोई संन्यासी नहीं होता, संन्यास को जीवन में उतारना पड़ता है। आपने मुझे वैराग्य का महत्व समझा दिया। जो सारे संसार की पालनहार है,वो मेरा भी तो पालनहार है।

अगर हम सतगुरु की भक्ति करते हैं, तो विश्वास भी होना चाहिए कि सतगुरु हर समय हमारे साथ हैं। सतगुरु को हमारी चिंता हमसे ज्यादा रहती है।

Inspirational & Motivational Story in Hindi - Short Stories For WhatsApp

Inspirational Stories- ईश्वर पर अटूट भरोसा (Unwavering Faith in God) By BK Shardha Agrawal

God is with you, it was winter and evening came. There were clouds in the sky. Many crows were sitting on a neem tree. All of them were going from village to village and fighting with each other. At the same time a myna came and sat on a branch of the same tree. On seeing Maina, many crows fell on him. - Poor Maina said - Cloud is very much, that is why it has become dark today. I have forgotten my nest, so let me sit here tonight. - The crows said - No, this tree is ours, you run away from here. - Maina Boli - The tree is all made of God. If it rains and hail in this winter, only God can save us. I am very young, your sister, you have pity on me and let me sit here too.

Kako said, we do not want a sister like you. If you take the name of God so much, then why don't you trust God. If you don't go, we will all kill you. Crows are quarrelsome, when they start sitting on the tree in the evening, they do not go without quarreling with each other, they kill each other and quarrel with each other. Which crow will sit at night on which twig. This is not fixed immediately. They fight again and again, then how can they allow any other bird to sit on the tree. They run to kill Maina after leaving a mutual battle. Poor Maina flew away from there and saw the crows go haywire towards her and went a little distance and sat on a mango tree.

It was late in the night that the storm came, thunderstorms and heavy hail started raining. Big potatoes like hail were falling like gunfire. The crows shouted A few flew from here to there, but all of them got injured and fell on the ground due to the hailstorm. Many crow died. - One of the mangoes on which Maina was sitting fell apart. The dall had rotted from within and became polly. When the branch broke, there was a crust in the tree near its root. The younger Maina entered it and did not find a single hail. - It was morning and two hours later, bright sunlight came out. I spread my wings out of Khondar and bowed to God and flew away.

When the hail injured crow on earth saw myna flying and asked with great distress - Where have you been, myna sister, who saved you from the blow of olo. Maina Boli: I was sitting alone on the mango tree and used to pray to God. Who can save the helpless creature in sorrow except God. - But God does not save only from hail and only save manna. Whoever believes in God and remembers God, he is helped and protected by all the calamities.