Listly by matritave1992
a blog about pregnancy, baby care, post pregnancy care, baby development etc.
गर्भावस्था के दौरान अंडा खाना बहुत लाभदायक होता है। ऐसे इसमें पाये जाने वाले पौष्टिक तत्व के कारण होता है। अंडे में पाये जाने वाले nutrients की वजह से
यदि आप pregnant है तो आपके सामने कुछ pregnant होने के लक्षण होते है जिन्हें Early pregnany symptons भी कहा जाता है।
प्रेगनेंसी के लगभग दूसरी तिमाही से ही कमर में दर्द होना शुरू हो जाता है। कई औरतों को तो यह दर्द डिलीवरी के बाद तक भी बना रहता है।प्रसव के बाद पीठ दर्द के लिए घरेलू उपचार हो सकते है। प्रेगनेंसी के समय body कुछ ऐसे हॉर्मोन्स release करता है जो muscles को loos बना देता है। बॉडी relaxin हॉर्मोन release करता है जिसके कारण relaxity आती है और कमर में दर्द होने लगता है।
अकसर देखा जाता है की महिलाएं में pregnancy के समय 8-12 kg तक वजन बढ़ जाता है। अगर पहले से ही माँ का वजन अधिक है तो वह इससे ज्यादा वजन भी बढ़ा लेती है। माता के शरीर पर डिलीवरी के बाद पेट पर ज्यादा चर्बी देखने को मिलती है। क्योकि pregnancy के समय उसका गर्भाश्य बढ़ जाता है। और उसे वापिस अपनी जगह पर आने में समय और मेहनत लगती है।
अगर डिलिवरी के बाद हम खाने-पिने का ध्यान रखेंगे तो हम जल्द ही बढ़े हुए वजन और पेट को कम कर सकते है।
नई बनी माँ को अपने खाने में क्या लेना चाहिये
1.दूध और दूध से बनी चीजे
2.ब्राउन चावल
3.सन्तरा
4.हरी पत्तेदार सब्जिया
5.अजवायन
6.गेहू के आटे के ब्रेड
बच्चा लगभग 38 सप्ताह के लिए माँ के पेट में रहता है। अनुमानित गर्भावस्था 40 सप्ताह या 9 महीने की मानी जाती है।
पहला, दूसरा और तीसरा महीना first trimester में आता है। चौथा, पाँचवा और छटा महीना second
trimester में आता है। सातवाँ, आठवां और नवा महीना third में ।
ज्यादा छोटे(6 महीने) तक के बच्चे के लिए तो माँ का दूध ही काफी होता है। 6 महीने से ऊपर के बच्चे की भी कुछ उपाय से इम्मुनिटी पॉवर को बढ़ाया जा सकता है।
जब बच्चा पैदा होता है तब वह 20-25 बार तक भी पॉटी कर सकता है। ऐसा लगभग 1 महीने तक हो सकता है।
मौसम बदला नही की बच्चे बीमार पड जाते है। क्योकि इनका इम्यूनिटी पॉवर ज्यादा अच्छा नही होता।सर्दी खाँसी में आप घरेलू उपचार करके घर पर ही इलाज कर सकते है
माता-पिता बच्चे की त्वचा पर कुछ देखते है जैसे लाल चक्के, घमोरियां,रूखी तो परेशान होने लगते है।
जब घर में छोटा सा मेहमान आता है तब पहली बार माता-पिता पता नही होता की परवरिश कैसे करनी है। शिशु काल के किस समय पर उसकी क्या activity होगी।
हर बच्चा बालो के साथ पैदा नही होता। कुछ बच्चे गंजे पैदा होते है, कुछ कम बालो और कुछ घने बालों वाले।हर बच्चे की scalp का ध्यान रखना बहूत जरूरी होता है।
जब बच्चे के दाँत निकलते है तो उसे बहूत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मसूड़ो में दर्द, सर में दर्द, दस्त, नींद में परेशानी
बच्चा 1 साल के बाद ही अपनी समझ से शब्द बोलता है। लेकिन अपनी बातों को वो रो कर शुरू से ही बताने लगता है।
बच्चे के चलने की आयु 9 महीने से शुरू हो जाती है। लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल भी नही है की हर बच्चा 9 महीने से ही चलना शुरू कर दे।
बच्चे को हेल्दी रखने के लिए बच्चे की diet का पता होना बहूत जरूरी है। बच्चे के वजन से उसके स्वास्थ्य का पता लगाया जा सकता है।
जब बच्चा गर्भ में 18-20 सप्ताह का होता है।तब उसके शरीर पर बाल आने शुरू हो जाते है। जिन्हें लागूनो कहते है घरेलू उपाय से बालों को साफ किया जा सकता है।
बन्द नाक को कुछ तरीको से खोला जा सकता है
1) स्टीम देकर
2) स्टीम बॉथ करके
3) नमक के पानी से
4) निकलती धुप से
5) सेलाइन ड्रॉपस
6) सरसो के तेल से
कम से कम 6 महीने तक बच्चे को माँ का दूध मिलना चाहिए।इससे उसके शरीर की ग्रोथ अच्छे से होगी |ब्रेअस्फीड करने से बच्चे और माँ के बीच रिश्ता गहरा होता है।
बच्चे के लिए मालिश बहुत जरूरी होती है। मलिश से माता-पिता का रिश्ता बच्चे के साथ मजबूत होता है। वह अपने माता-पिता को पहचाने लगता है बच्चों को मालिश करव
10 दिन तक के बच्चे को नहलाना ज्यादा जरूरी नही होता। जब तक नाल लगी होती है तब तक बच्चे को स्पंज बाथ करा सकते है।
जो पहली बार माँ बनी है उसको शुरुआत में नवजात शिशु के नाख़ून काटना थोडा मुश्किल लगता है। पर कुछ tips अपना कर शिशु के नाख़ून काट सकते है।
अगर आप पहली बार माँ बनने जा रही है तो आप आप मे बच्चे की देखभाल के बारे में चिंतित रहती होंगी । आपको बच्चे की देखभाल कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है।
प्रेगनेंसी में निम्बू पानी पीना काफी अच्छा माना जाता है। प्रेगनेंसी में रोज 8-10 गिलास पानी पिने की सलाह दी जाती है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।