Listly by ABHISHEK UMAR
हमारा मुख्य उद्देश्य HIndu धर्मो की पूजा- अर्चना , उनका विधि -विधान , नियम ,पूजन सामग्री तथा उनसे जुडी सभी कथाओ को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचाना है Iजिससे वे अपने धर्म और पूजा विधान को अच्छे से जान सके तथा इसके साथ ही साथ अपने धर्म के प्राचीन महत्व को समझ सके l
Source: http://poojaarchana.com/
NAG PANCHAMI 2020- नाग पंचमी श्रावण माह में पड़ने वाला हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। यह श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा अर्चना करने का विधान है। लोग इस अवसर पर नाग देवताओं के प्रतिनिधि के रूप में जीवित सर्पों की पूजा करते हैं। नाग देवता भगवान शिव के गले का हार हैं और भगवान विष्णु की शैया भी हैं ।इन कारणों से भी नाग को पूजा जाता है।ऐसा भी माना जाता है कि सावन मास के आराध्य देव भगवान शिव हैं ।इसी के साथ यह समय वर्षा ऋतु का भी होता है। जिस कारण भूगर्भ से निकलकर नाग भूतल पर आ जाते हैं और वह किसी के अहित का कारण ना बने इसलिए नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए नाग पंचमी की पूजा की जाती है।
*हरियाली तीज *को कजली तीज और श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 2020 में यह पर्व 23 जुलाई दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। शुभ मुहूर्त- तृतीया तिथि का आरंभ 22 जुलाई 2020 बुधवार शाम 7:21 से होगा समापन 23 जुलाई 2020 गुरुवार शाम 5:02 पर होगा।
बृहस्पतिवार (Brihaspativar)का व्रत विष्णु जी (Vishnu ji)के प्रसन्न के लिए किया जाता है Iइस व्रत में केले के पेड़ का विशेष महत्व है अर्थात व्रत में केले के पेड़ की पूजा की जाती हैI कुमारी कन्याओं द्वारा यह व्रत करने से उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति होती है तथा व्रत विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं Iइस व्रत को करने की से व्यक्ति को धन-धान्य की कमी भी नहीं होती Iतथा समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है Iऔर जीवन में खुशियां बनी रहतीI
गुरु पूर्णिमा(GURU PURNIMA) के पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है क्योंकि गुरु (GURU)के बिना ज्ञान संभव नहीं है । गुरु ही जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमारा उचित मार्गदर्शन करते हैं। गुरु ही हमारे जीवन से अज्ञानता रूपी अंधकार को मिटाकर उसे ज्ञान रूपी प्रकाश से प्रकाशित करते हैं। ईश्वर भक्ति के लिए भी गुरु एक माध्यम की तरह कार्य करते हैं।
सावन का महीना(SAWAN KA MAHINA) बहुत ही पवित्र माना जाता है क्योंकि श्रावण माह और भगवान शिव(BHAGWAN SHIV) का बहुत गहरा संबंध माना गया है। इस माह में भगवान शिव(BHAGWAN SHIV) के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा भी की जाती है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास में भगवान विष्णु के शयन काल में चले जाने के बाद भगवान शिवजी सृष्टि के संचालन का कार्य देखते हैं। इस कारण यह माह भगवान शिव को बेहद प्रिय है। श्रावण मास के सोमवार बहुत ही पुण्य और फलदाई माने जाते हैं इस माह में भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा-अर्चना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माना जाता है श्रावण माह में भगवान शिव की पूजा रुद्राभिषेक एवं महामृत्युंजय जाप करने से सभी रोगों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
गुरु ही मेरी पूजा ,गुरु ही मेरे भगवान है।गुरु ही मेरे परम सत्य ,गुरु मेरे प्रिय भगवान है ।मेरे गुरु दिव्य,अनंत ,रहस्मयी हैं ।मैं विनम्रतापूर्वक सेवा करते हुए ,उनके श्रद्धेय चरणों को प्रणाम करता हूं।
हमारी वेबसाइट का मुख्य उद्देश्य सभी धर्मो की पूजा- अर्चना , उनका विधि -विधान , नियम ,पूजन सामग्री तथा उनसे जुडी सभी कथाओ को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचाना है Iजिससे वे अपने धर्म और पूजा विधान को अच्छे से जान सके तथा इसके साथ ही साथ अपने धर्म के प्राचीन महत्व को समझ सके l
धर्म (Dharm)और ईश्वर(Iswar) में आस्था रखने वाले लोग प्रतिदिन पूजा-पाठ व भगवान का नाम अवश्य जपते है I नियमित पूजा (Pooja)करने से हमारे मन को शांति मिलती है और ईश्वर
हमारी वेबसाइट का मुख्य उद्देश्य सभी धर्मो की पूजा- अर्चना , उनका विधि -विधान , नियम ,पूजन सामग्री तथा उनसे जुडी सभी कथाओ को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचाना है Iजिससे वे अपने धर्म और पूजा विधान को अच्छे से जान सके तथा इसके साथ ही साथ अपने धर्म के प्राचीन महत्व को समझ सके l
शास्त्रों के अनुसार सोमवार का दिन उत्तम माना माना जाता है शिव आराधना के लिए ∣इस दिन भोले बाबा के पूजन से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है ∣
हमारी वेबसाइट का मुख्य उद्देश्य सभी धर्मो की पूजा- अर्चना , उनका विधि -विधान , नियम ,पूजन सामग्री तथा उनसे जुडी सभी कथाओ को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचाना है Iजिससे वे अपने धर्म और पूजा विधान को अच्छे से जान सके तथा इसके साथ ही साथ अपने धर्म के प्राचीन महत्व को समझ सके l
हमारी वेबसाइट का मुख्य उद्देश्य सभी धर्मो की पूजा- अर्चना , उनका विधि -विधान , नियम ,पूजन सामग्री तथा उनसे जुडी सभी कथाओ को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचाना है Iजिससे वे अपने धर्म और पूजा विधान को अच्छे से जान सके तथा इसके साथ ही साथ अपने धर्म के प्राचीन महत्व को समझ सके l
हमारी वेबसाइट का मुख्य उद्देश्य सभी धर्मो की पूजा- अर्चना , उनका विधि -विधान , नियम ,पूजन सामग्री तथा उनसे जुडी सभी कथाओ को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचाना है Iजिससे वे अपने धर्म और पूजा विधान को अच्छे से जान सके तथा इसके साथ ही साथ अपने धर्म के प्राचीन महत्व को समझ सके l
वर्ष 2020 का सूर्य ग्रहण कब , कहाँ और कितने बजे से हैं...सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कथा .. जानिये
RAKSHA BHANDHAN 2020- रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहन के बीच अनमोल रिश्ते को समर्पित है और भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। सनातन धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनकी सुख समृद्धि की कामना करती हैं वहीं भाई भी अपनी बहनों को उनकी रक्षा का वचन देते हैं। प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे राखी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक इस त्योहार पर इस बार बहुत शुभ संयोग बन रहा है क्योंकि इस बार श्रावणी पूर्णिमा के साथ महीने का श्रावण नक्षत्र भी पड़ रहा है और श्रावणी नक्षत्र का संयोग पूरे दिन रहेगा जिस कारण इस पर्व की शुभता और बढ़ जाएगी इसी के साथ इस बार रक्षाबंधन श्रावण के पांचवें और अंतिम सोमवार को पड़ रहा है। इस कारण भी यह और अधिक शुभ माना जा रहा है।
हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण(KRISHNA) के जन्म दिवस को उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसे हम जन्माष्टमी के नाम से जानते हैं। वैसे तो हिंदू धर्म में हजारों देवी देवताओं की पूजा और व्रत किए जाते हैं परंतु भगवान श्री कृष्ण सबसे अनोखे और अलग अवतार वाले देवता माने जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार कहा जाता है। भगवान श्री कृष्ण बड़े ही चंचल स्वभाव वाले हैं और उनका पूरा बचपन में उनकी अद्भुत लीलाओं से भरा हुआ है। यही कारण है कि सभी उनके बाल रूप की पूजा अर्चना करते हैं और जन्माष्टमी के त्यौहार का पूरे साल इंतजार भी करते हैं।
शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित है। सभी ग्रहों में शनि का मनुष्य पर सबसे अधिक हानिकारक प्रकोप होता है यदि शनि की साढ़ेसाती की दशा हो जाए तो जीवन में दुख और विपत्तियों का समावेश हो जाता है। परंतु शनिदेव की पूजा और व्रत करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है क्योंकि शनि देव प्रत्येक व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं इसलिए मनुष्य को शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए और उनकी कुदृष्टि से बचने के लिए शनिवार का व्रत और पूजा करनी चाहिए। वैसे तो शनिवार का व्रत किसी भी माह में आरंभ किया जा सकता है परंतु श्रावण मास में इस व्रत को प्रारंभ करने का विशेष महत्व है।
पंचांग के अनुसार, हर वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है।
गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस एक आदर्श ग्रंथ है। जिसे हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र ग्रंथ माना गया है।
भाद्रपद अमावस्या को पिथौरा अमावस्या भी कहा जाता है, इसलिए इस दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। इस संदर्भ में पौराणिक मान्यता है
प्रत्येक वर्ष गणेश चतुर्थी व्रत के अगले दिन और हरतालिका तीज व्रत के ठीक दूसरे दिन यानि कि भाद्र पद की शुक्ल पंचमी को ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत महिलाओं के लिए बेहद ख़ास माना गया है। हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कहा गया है कि इस दिन व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाओं को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्य कृष्णा के. शर्मा के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, सोमवार, .....
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अनंत चतुर्दशी व्रत का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है, इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन द्वादशी या वामन जयंती का पर्व मनाया जाता है।
पौराणिक ग्रंथों में वर्णित किया गया है कि देवपूजा से पहले जातक को अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिये। पितरों के प्रसन्न होने पर देवता भी प्रसन्न होते हैं।