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Updated by astrolok-vedic on Mar 05, 2019
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Astrolok.vedic

A renowned name amongst the vedic astrology institutes in India, Astrolok is merely not an educational firm, but is a shining beacon of hope for students who confide in us to attain authentic knowledge of Jyotishshastra

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Learn Astrology - Planet Mars in different houses in vedic Astrology (Part 2)

Learn Astrology - Planet Mars in different houses in vedic Astrology (Part 2)

Hello All,

Astrlolok has launched second part of "Planet Mars in different houses in Vedic Astrology" on Youtube. Mars is the planet of energy.

Must have a look at this video. Here's the link of youtube

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जानिए नहाने के साबुन का किस्मत कनेक्शन---

जानिए नहाने के साबुन का किस्मत कनेक्शन---

प्रिय मित्रों/पाठकों,ज्योतिष में सप्ताह का हर दिन ग्रहों के हिसाब से तय किया गए हैं। जैसे सोमवार का दिन चंद्रमा को समर्पित है, मंगलवार का दिन मंगल के लिए, बुधवार बुध का कारक है, गुरुवार का दिन गुरु के लिए। ज्योतिष में हर दिन ग्रहों के नजरिए से शुभ काम करनी चाहिए और वर्जित किए गए काम को करने से बचना चाहिए।

हम सब नहाते समय साबुन का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही हम अपनी पसंद के हिसाब से साबुन चुनते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से हमें किस तरह के साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए?

हमारे शास्त्रों में मानसिक शुद्धि के साथ ही शारीरिक शुचिता को भी बहुत महत्त्व दिया गया है। कहते हैं स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है और शरीर के स्वस्थ रहने के लिए शरीर को स्वच्छ रखना बहुत आवश्यक है। शारीरिक स्वच्छता में स्नान की अग्रणी भूमिका है।
प्रत्येक व्यक्ति को शारीरिक स्वच्छता के लिए प्रतिदिन स्नान करना आवश्यक है। हमारे शास्त्रों में स्नान किए बिना मन्दिर प्रवेश, पूजा-पाठ व भोजन करने का निषेध बताया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विधिपूर्वक किया गया स्नान जन्मपत्रिका के ग्रहजनित दोषों को दूर करने में सहायक होता है।

ज्योतिष के मुताबिक साबुन का इस्तेमााल करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? साथ ही किस साबुन का इस्तेमाल करने से क्या लाभ मिलता है? यदि नहीं तो आज हम आपको इसी बारे में विस्तार से बता रहे हैं। चलिए जानते हैं कि ऐसी वो कौन सी पांच बातें हैं जिनका हमें साबुन का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखना चाहिए।
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धनेश का अन्य भावों में फल

धनेश का अन्य भावों में फल

1 पहला घर -: जातक का स्‍वभाव क्रूर होता है एवं वह केवल अपने लिए नाम कमाता है। सूर्य और नवमेश का सहयोग मिलने पर जातक को पैतृक संपत्ति का लाभ होता है।

2 *दूसरा घर *-: जातक को अपने बच्‍चों से दूर रहना पड़ सकता है एवं वह अत्‍यंत अहंकारी हो सकता है।

3** तीसरा घर **-: जातक को संगीत, नृत्‍य और कला से लाभ मिल सकता है। वह साहसी होता है। जातक अपने सपनों को साकार करने में सक्षम होता है एवं उसे अपनी बहन से सहयोग प्राप्‍त होता है।

4 चौथा घर -: जातक एक सफल किसान बन सकता है एवं उसे अपनी माता के परिवार से लाभ मिलना संभव है। कंजूस प्रवृत्ति के यह लोग केवल स्‍वयं पर ही पैसा खर्च करना पसंद करते हैं। यह कमिशन के कार्यों से धन कमाते हैं।

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जानिए उन कारणों को जिनके कारण आपको नोकरी का बुलावा नही आता हें

जानिए उन कारणों को जिनके कारण आपको नोकरी का बुलावा नही आता हें

आपके पास बार बार नौकरी के बुलावे आते है और आप नौकरी के लिये चुने नहीं जाते है,तो इसमे इन कारणों का विचार आपको करना पडेगा:-

यह कि नौकरी की काबलियत आपके अन्दर है,अगर नहीं होती तो आपको बुलाया नहीं जाता।यह कि नौकरी के लिये परीक्षा देने की योग्यता आपके अन्दर है,अगर नहीं होती तो आप सम्बन्धित नौकरी के लिये पास की जाने वाली परीक्षायें ही उत्तीर्ण नहीं कर पाते।

नौकरी के लिये तीन बातें बहुत जरूरी है,पहली वाणी,दूसरी खोजी नजर,और तीसरी जो नौकरी के बारे में इन्टरव्यू आदि ले रहा है उसकी मुखाकृति और हाव भाव से उसके द्वारा प्रकट किये जाने वाले विचारों को उसके पूंछने से पहले समझ जाना,और जब वह पूंछे तो उसके पूंछने के तुरत बाद ही उसका उत्तर दे दे।

वाणी के लिये बुध,खोजी नजर के लिये मन्गल और बात करने से पहले ही समझने के लिये चन्द्रमा।नौकरी से मिलने वाले लाभ का घर चौथा भाव है,इस भाव के कारकों को समझना भी जरूरी है,चौथे भाव में अगर कोई खराब ग्रह है और नौकरी के भाव के मालिक का दुश्मन ग्रह है तो वह चाह कर भी नौकरी नहीं करने देगा,इसके लिये उसे चौथे भाव से हटाने की क्रिया पहले से ही करनी चाहिये।

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जानिए 'वास्तु' क्या है और इसके लाभ क्या हैं ??

जानिए 'वास्तु' क्या है और इसके लाभ क्या हैं ??

संस्कृत में कहा गया है कि...

गृहस्थस्य क्रियास्सर्वा न सिद्धयन्ति गृहं विना।

वास्तु का शाब्दिक अर्थ " निवास स्थान " होता है। इसके सिद्धांत वातावरण में जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश तत्वों के बीच एक सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं। जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश इन पाँचों तत्वों का हमारे कार्य प्रदर्शन, स्वभाव, भाग्य एवं जीवन के अन्य पहलुओं पर पड़ता है। यह विद्या भारत की प्राचीनतम विद्याओं में से एक है जिसका संबंध दिशाओं और ऊर्जाओं से है। इसके अंतर्गत दिशाओं को आधार बनाकर आसपास मौजूद नकारात्मक ऊर्जाओं को कुछ इस तरह सकारात्मक किया जाता है, ताकि वह मानव जीवन पर अपना प्रतिकूल प्रभाव ना डाल सकें।

उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम ये चार मूल दिशाएं हैं। वास्तु विज्ञान में इन चार दिशाओं के अलावा 4 विदिशाएं हैं। आकाश और पाताल को भी इसमें दिशा स्वरूप शामिल किया गया है। इस प्रकार चार दिशा, चार विदिशा और आकाश पाताल को जोड़कर इस विज्ञान में दिशाओं की संख्या कुल दस माना गया है। मूल दिशाओं के मध्य की दिशा ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य को विदिशा कहा गया है।

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Jupiter in different houses in Vedic Astrology

Watch Now !!
Astrolok Published new video of PLANET JUPITER in Vedic Astrology

Part 1 of “Jupiter in different houses in Vedic Astrology”
Here is the link :-

For more videos subscribe YouTube Channel of Astrolok :- https://bit.ly/2H8k1TV

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Learn Astrology - Jupiter in different houses in Vedic Astrology (Part 2)

Learn Astrology - Jupiter in different houses in Vedic Astrology (Part 2)

“Want to know interesting facts about planet Jupiter in different houses"
Watch now,

Astrolok has published 2nd part of planet Jupiter
Here is the link: -

*If you missed Part 1 of planet Jupiter *
Here is the link: -

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Learn different aspects of Astrology - Astrology for Marriage

Learn different aspects of Astrology - Astrology for Marriage

ASTROLOGY
Astrology is a very ancient study of stars and planets. It most probably was discovered in Mesopotamia. It was used by every ancient civilization, whether it was Egypt or Babylon. Ancient astrologers noticed that constellations always moved together.

They also noticed that five of the brightest stars moved by themselves. These five stars were named as wanderers. It was known much later that these five weren’t stars but planets. They were named Mercury, Venus, Mars, Jupiter and Saturn. In ancient times, these planets were revered as gods. The other planets were discovered much later.

Astrology for Marriage
It is very common to use astrology for marriage. The charts of the groom and the bride must match in order for the marriage to happen. By matching, it doesn’t mean that they have to match each other 100%. But there is a compatibility factor they should match up to. In India, almost no marriage is complete without matching the kundalis. It is given utmost importance and takes precedence over anything else. Astrology for marriage becomes very important when the girl or boy in question is manglik.

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जानिये लग्नेश का विभिन्न भाव में फल

जानिये लग्नेश का विभिन्न भाव में फल

1 पहला घर -: इस घर के प्रभाव में जातक विवाहेत्‍त्‍र संबंध बनाता है। इन्‍हें आजादी पसंद होती हैं एवं यह अपने जीवन को सुखमय बनाने के निए प्रयास करते हैं। स्‍वामी लग्‍न के उचित स्‍थान पर होने के समय इन्‍हें प्रसिद्धि प्राप्‍त होती है।

2 दूसरा घर -: इस घर के प्रभाव में जातक अपने शत्रुओं के कारण तनाव में रहता है। यह दान-पुण्‍य को अधिक महत्‍व देते हैं। यह जातक अच्‍छा कमाते हैं और अपने परिवार के प्रति सारी जिम्‍मेदारियों का अच्‍छे से निर्वाह करते हैं।

3 तीसरा घर -: ये जातक गणितज्ञ एवं संगीतकार बन सकते हैं। यह बहुत चतुर होते हैं एवं इनकी दो पत्‍नियां होती हैं। यह साहसी होते हैं।

4 चौथा घर -: इन जातकों को अपनी माता के परिवार से जमीन-जायदाद मिलती है। इन्‍हें अपने माता-पिता से अत्‍यधिक प्रेम मिलता है एवं इनके अधिक भाई होते हैं। यह कई वाहनों के स्‍वामी होते हैं एवं यह स्‍वस्‍थ जीवन जीते हैं।

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