Listly by Neeraj Singh
A collection of all the Gods of Aarti is given here. You can read all the aarti of God.
सभी भगवानों की आरतियां का कलेक्शन यहां पर दिया हुआ है। आप भगवान की सभी आरतियां पढ़ सकते हैं।
Source: http://www.gyankibatein.com/
भगवान श्री हरि विष्णु इस सृष्टि के पालनकर्ता है। जब-जब इस पृथ्वी पर धर्म की हानि हुई है। तब-तब प्रभु ने अलग-अलग अवतार लेकर धर्म,पृथ्वी और संपूर्ण मानव जाति का कल्याण किया है।
मां लक्ष्मी माता को धन की देवी कहा जाता है। जो व्यक्ति सच्चे मन से लगन और विश्वास के साथ लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना करता है।
भगवान शिव शंकर को कई नामों से बुलाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि महादेव स्वाभाव से भोले भी है और क्रोधित भी है। जब देवों के देव महादेव शांत होते हैं तो कोई उन्हें भोलेनाथ कहकर पुकारता है और जब क्रोधित होते हैं तो वह कालों के काल महाकाल के नाम से भी जाने जाते हैं।
सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है भगवान श्री गणेश बुद्धि के दाता हैं
प्राचीन काल में माता ने राक्षसों में बलशाली दुर्गम राक्षस का वध किया था। इस कारण से मां शेरावाली का नाम दुर्गा पड़ा।
नवरात्र के पहले दिन देवी दुर्गा के प्रथम रुप मां शैलपुत्री की पूजा और आराधना का विधान है।हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार,देवी शैलपुत्री का जन्म पर्वतराज हिमालय के यहां हुआ था।
नवरात्र के दूसरे दिन देवी दुर्गा के दूसरे रुप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और आराधना का विधान है। भक्त इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का तात्पर्य है तपस्या और चारिणी का तात्पर्य है आचरण करने वाली।
नवरात्र के तीसरे दिन देवी दुर्गा के तीसरे रुप मां चंद्रघंटा की पूजा और आराधना का विधान है।माता के सिर पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। इसी वजह से इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।
नवरात्र के चौथे दिन देवी दुर्गा के चौथे रुप मां कूष्माण्डा की पूजा और आराधना का विधान है।जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। ब्रह्मांड और चराचर सृष्टि को
नवरात्र के पांचवें दिन देवी दुर्गा के पांचवें रुप स्कंदमाता की पूजा और आराधना का विधान है। भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।
नवरात्र के छठवें दिन देवी दुर्गा के छठवें रुप मां कात्यायनी की पूजा और आराधना का विधान है। चार भुजा धारी माँ कात्यायनी सिंह पर सवार हैं। माता के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में अपना प्रिय पुष्प कमल लिये हुए हैं।
नवरात्र के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवें रुप मां कालरात्रि की पूजा और आराधना का विधान है।माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में बहुत भयानक है माँ कालरात्रि दुष्ट दानवों का का विनाश करने वाली हैं।
नवरात्र के आठवें दिन देवी दुर्गा के आठवें रुप मां महागौरी की पूजा और आराधना का विधान है।माता का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है। महा और गौरी, महा अर्थात महान (सबसे बड़ी) और गौरी अर्थात माता गौरी।
नवरात्र के नौवें दिन देवी दुर्गा के नौवें रुप मां सिद्धिदात्री की पूजा और आराधना का विधान है।मां दुर्गा की नवीं शक्ति सिद्धिदात्री हैं। नव-दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं।
नवरात्रि एक हिंदू त्यौहार है जिसे बहुत धूमधाम और उत्सव के साथ मनाया जाता है।नवरात्रि का मतलब होता है “नौ रातें”।इन नौ दिनों में मां भगवती के नौ रूपों की पूजा की जाती है।मां जगदंबा की चैत्र नवरात्र 21 सितंबर दिन गुरुवार से प्रारंभ हो रहे है।
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